कलश स्थापना के साथ शुरू होगा नवरात्रि का पर्व, हिन्दू नववर्ष की भी है शुरूआत

मंदिरों में लगेगी रौनकें, भक्तों में भी उत्साह की लहर

कलश स्थापना के साथ शुरू होगा नवरात्रि का पर्व, हिन्दू नववर्ष की भी है शुरूआत

चंडीगढ़ खबरनामा डेस्क

 

चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर नव संवत्सर के साथ शनिवार से वासंतिक नवरात्र शुरू होगा। इसी दिन हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2079 आरंभ होगा। कोरोना काल के बाद यह पहला चैत्र नवरात्रि है जिसमें भक्तज़न बिना पाबंदियों के मंदिरों में आ ज़ा सकेंगे और साथ ही मां दुर्गा की पूज़ा अर्चना कर सकेंगे।

 

वासंतिक नवरात्र के लिए शनिवार को अति शुभ मुर्हूत में कलश स्थापन होगी। नवग्रह स्थापना, ध्वज रोपण के साथ प्रथम मां शैलपुत्री की पूजा होगी। इसके बाद मां भगवती की श्रद्धालु आराधना में लीन हो जाएंगे। नवरात्र पर शहर के कई मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होगा। शास्त्रीय दृष्टिकोण से इस बार नौ दिनों का नवरात्र होगा।

 

वासंतिक नवरात्र को लेकर कई घरों में कलश स्थापना के साथ देवी भगवती की अराधना में परिवार के सदस्य लीन रहेंगे। इसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है।

नवरात्र में देवी शक्ति का स्वरूप मां दुर्गा के भक्त उनके नौ रूपों की पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्र के समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र में ही भगवान श्रीराम ने देवी शक्ति की आराधना कर राक्षस रावण का वध किया था और समाज को यह संदेश दिया था कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।

नवरात्र 2022 - 1 अप्रैल को मां शैलपुत्री की पूजा के साथ होगा आगाज

दो अप्रैल : मां शैलपुत्री की पूजा व घट स्थापना

तीन अप्रैल : मां ब्रह्मचारिणी पूजा

चार अप्रैल : मां चंद्रघंटा पूजा

पांच अप्रैल : मां कुष्मांडा पूजा

छह अप्रैल : मां स्कंदमाता पूजा

सात अप्रैल : मां कात्यायनी पूजी

आठ अप्रैल : मां कालरात्री पूजा

नौ अप्रैल : मां महागौरी पूजा

दस अप्रैल : मां सिद्धदात्री पूजा व श्री रामनवमी

 

 

घटस्थापना कैसे करें-

  1. नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे.
  2. मंदिर की साफ-सफाई कर गंगा जल से शुद्ध करके पुष्प से मंदिर सजाए. फिर पूजा में सभी देवी -देवताओं को आमंत्रित करें. घटस्थापना करने से पहले भगवान गणेश की आराधना करें.
  3. अब मंदिर के नजदीक ही एक बजोट पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं.
  4. अब उसके मध्य अक्षत की एक ढेरी बनाए. ढेरी के उपर जल से भरा कलश स्थापित करें.
  5. कलश पर स्वास्तिक बनाकर मोली बांधें. कलश में साबुत, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ, दूर्वा, अक्षत और आम का पत्ते डालें.
  6. एक नारियल लें कर उस पर चुनरी लपेटें और इसे कलश के ऊपर रख दें.
  7. अब देवी मां का आवाहन करें. धूप-दीप से कलश की पूजा करें और फिर मां दुर्गा की पूजा करें. मां को भोग लगाए. पूरे परिवार के साथ सुख समृद्धि की कामना करे