2017 के मतदान से 9 प्रतिशत कम हुई वोटिंग, लग सकता है कईयों को झटका

पिछले चुनावों से 9 प्रतिशत हुआ कम हुआ मतदान, ऐसे में बढ़े बदलाव का आसार कम

2017 के मतदान से 9 प्रतिशत कम हुई वोटिंग, लग सकता है कईयों को झटका

चंडीगढ़ : मतदान का महाकुभ रविवार को सामप्त हो गया, लेकिन मतदान के इस महाकुंभ में अगर एक बात सबसे ज्यादा चौंकाने वाली रही तो वो है वर्ष 2017 में हुए चुनाव से मतदान प्रतिशत कम होना। कारण कि वर्ष 2017 में 77.2 प्रतिशत मतदान पंजाब में हुआ था लेकिन इस बार वो करीब 9 प्रतिशत कम होकर 68.3 प्रतिशत तक रह गई जिसका संकेत माना ज़ा रहा है कि पंजाब की जनता किसी बड़े बदलाव के मूड में नहीं है।

 

जिस से पंजाब में बदलाव का मुख्य मुद्दा बना कर वोट मांगने वालों को पंजाब की जनता तोहफे के तौर पर झटका दे सकती है। हालांकि मालवा में बढ़ी वोटिंग से कांग्रेस को फायदा होता नही भी दिखाई दे रहाहै।

 

वहीं अगर प्रदेश में पिछले हुए करीब पांच चुनावों का लेखा जोखा देखा जाए तो मतदान में जब कमी रही है तब पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी है और जब कभी मतदान की औसत बड़ी है तो पंजाब में अकाली दल सत्ता में आया है। जिस से क्यास लगाए जा रहे है कि पंजाब की जनता इस बार किसी बड़े बदलाव के मूड में दिखाई नहीं दी है।

 

पढ़ें पंजाब में कैसा रहा पिछले पांच चुनावों को ट्रैंड

 

  • 1997 में वोटिंग 68.7% रही तो पंजाब में अकाली दल-भाजपा की सरकार बनी थी।
  • 2002 में वोटिंग कम होकर 62.14% रह गई। तब फिर कांग्रेस सत्ता में आ गई।
  • 2007 में वोटिंग बढ़कर 76% हो गई। जिसके बाद अकाली दल की सत्ता में वापसी हुई।
  • 2012 में सत्ता विरोधी लहर थी और वोटिंग बढ़कर 78.3% हो गई। जिसके बाद अकाली दल फिर सत्ता में आ गया।
  • 2017 में वोटिंग फिर घटकर 77.2% हो गई तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में कांग्रेस सत्ता में आ गई।