चांद को निहार सुहागिनों ने किया पिया का दीदार

चांद को निहार सुहागिनों ने किया पिया का दीदार

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भारतीय संस्कृति में करवाचौथ के व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत पत्नी अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती है तथा सारा दिन भूखी प्यासी रह कर भगवान से अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती है। करवाचौथ का व्रत पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। फगवाड़ा तथा आस पास के इलाको में महिलाओं ने इस व्रत को श्रद्धाभाव से पूरा किया। सभी महिलाओं ने प्रात: काल उठ कर मिठाई तथा फल फ्रूट आदि का सेवन कर व्रत की शुरुआत की। दिन भर महिलाओं में इस विशेष त्योहार का जादू छाया रहा और बड़े बेसब्री से चांद का इंतजार करती हुए नजर आई। दिन के समय महिलाओं ने कई प्रकार की गेम्स का आनंद उठा कर इस पर्व को खास बनाया। सांय महिलाओं ने विभिन्न धार्मिक स्थलों व घरों में जाकर कथा सुनी। रात के समय चांद के निकलने के बाद चांद को अघ्र्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत पूरा किया। करवाचौथ के व्रत की प्रथा सदियों से चली आ रही है। जैसे जैसे समय बदलता गया इस व्रत के तौर तरीके बदलते गए। आज के महंगाई के दौर में त्योहारों पर असर तो देखने को मिलता है लेकिन फिर भी हर कोई अपनी समर्था के अनुसार त्योहारों को मनाता है।