आज़ है राज़ायों की देवी मां बगलामुखी जयंती है, पूजा करने से शत्रु और रोग दूर होते हैं

देंखें कौन सा समय है शुभ और क्या है मां बगलामुखी की पूज़ा का फल

आज़ है राज़ायों की देवी मां बगलामुखी जयंती है, पूजा करने से शत्रु और रोग दूर होते हैं

मां बगलामुखी जिसको की एक विशेष दर्जा प्राप्त है। मां बगलामुखी हर दुख, संकट और पीड़ा से मुक्ति दिलाती हैं। शत्रुओं का नाश करती हैं और सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

 

सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।

 

मां देवी बगलामुखीजी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा। इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेक लोग संकट में पड़ जाते हैं और संसार की रक्षा करना असंभव हो जाता है। यह तूफान सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था जिसे देखकर भगवान विष्णुजी चिंतित हो गए।

इस समस्या का कोई हल न पाकर वे भगवान शिव का स्मरण करने लगे। तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में ही जाएं। तब भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंचकर कठोर तप करते हैं। भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुन्दरी को प्रसन्न किया तथा देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुईं और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करतीं महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ।

उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुईं। त्र्यैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर विष्णुजी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका।

 

 

 

पंचांग के अनुसार 20 मई बृहस्पतिवार का दिन विशेष है. इस दिन मां बगलामुखी जयंती है. इस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. दोपहर 12 बजकर 25 मिनट के बाद नवमी की तिथि का आरंभ होगा. आज नक्षत्र मघा है और चंद्रमा सिंह राशि में गोचर कर रहा है. मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए आज का दिन उत्तम है. 



मां बगलामुखी की पूजा में नियमों का ध्यान रखें


शास्त्रों के अनुसार मां बगलामुखी को 10 महाविद्याओं में से एक माना गया है. ये 10 महाविद्याओं के क्रम में 8वीं महाविद्या है. परंपरा के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है. इसी तिथि को मां बगलामुखी अवतरित हुई थीं. अष्टमी तिथि पर मां बगलामुखी की विधि पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है. वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी मां बगलामुखी को समर्पित है. इस दिन नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए. क्यों मां को अनुशासन और नियम अधिक पसंद हैं, इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-



- स्वच्छता को अपनाएं.


- व्रत के नियमों का पालन करें.


- प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर पूजा आरंभ करनी चाहिए.


- वाणी को दूषित न करें.


- क्रोध न करें.


- अहंकार भूलकर भी न करें.


- किसी का अपमान न करें.


- दान आदि का कार्य करना चाहिए.



शत्रु, रोग और संकटों से मुक्ति मिलती है


मां बगलामुखी की पूजा हर प्रकार की बाधा और कष्ट को दूर करती है. मां बगलामुखी की पूजा उस स्थिति में अधिक लाभकारी मानी गई है जब व्यक्ति किसी गंभीर परेशानी में जकड़ा हो. गंभीर परेशानी होने पर मां की भक्तिभाव के साथ पूजा करने से राहत मिलती है और बाधा दूर होती है.



मां बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त


बगलामुखी जयंती तिथि: 20 मई 2021


पूजा का शुभ समय: सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक.


पूजा की कुल अवधि: 55 मिनट.